delhi rohtak road mundka fire
दिल्ली के मुंडका क्षेत्र में एक सीसीटीवी कैमरे बनाने वाली कंपनी में भयंकर आग
दिल्ली के मुंडका क्षेत्र में एक सीसीटीवी कैमरे बनाने वाली कंपनी में भयंकर आग लग गई। इस घटना में काफी लोग हताहत हुए हैं और काफी ज्यादा जान माल का नुकसान हो चुका है। इस कंपनी में अधिकतर महिलाएं काम करती है और मरने वालों की संख्या भी महिलाओं की ही ज्यादा है। दिल्ली का यह हाईवे है जिसे रोहतक रोड़ कहते हैं और यह रोड़ सीधा हरियाणा के रोहतक में जाता है। जहां आग लगी ठीक उसके सामने मेट्रो गुजरती है और मेट्रो के पिलर नंबर 544 के सामने ही इस कंपनी की आलीशान बिल्डिंग है जो अब आग के कारण एक भयानक मंजर सा पैदा कर रही है।
जनरेटर में आग लगने के कारण सीढ़ियौ में धुआं भर गया
दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के बचाव दल को जलती हुई बिल्डिंग में से लोगों को निकालने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है। यह बहादुर जवान अपनी जान की परवाह ना करते हुए कोशिश कर रहे हैं कि बिल्डिंग के अंदर से लोगों को किसी भी तरह सुरक्षित बाहर निकाले। बताया जा रहा है कि इस बिल्डिंग के अंदर 200 से अधिक लोग मौजूद थे। इस इमारत में सीसीटीवी कैमरे और राउटर बनाने वाली एक कंपनी का दफ्तर भी था और उसका गोदाम भी यहीं पर था। इस बिल्डिंग में जहां सीढ़ियां थी वहां एक जनरेटर रखा हुआ था और इसी जनरेटर में आग लगने के कारण सीढ़ियौ में धुआं भर गया। लोगों को बिल्डिंग में से कहीं भी निकलने का रास्ता नहीं मिला क्योंकि बिल्डिंग के चारों तरफ शीशे लगे हुए थे। बिल्डिंग में शीशे लगे होने के कारण धुआं भी बाहर नहीं निकल पाया और लोगों का दम इस धुएं से घुटने लगा। काफी संख्या में लोग दूसरी मंजिल और तीसरी मंजिल पर फंसे हुए थे।
पहचान सिर्फ डीएनए टेस्ट से ही हो पाएगी
स्थानीय लोगों ने क्रेन के जरिए और रस्सीयों के जरिए कुछ लोगों को बाहर निकाला। एक महिला बहुत ज्यादा घबरा गई और वह बिल्डिंग से नीचे कूद गई इस कारण उसकी दर्दनाक मौत हो गई। आग पर काबू पाने के बाद जब इमारत में लोगों को तलाशने की कोशिश हुई तो 25 जली हुई लाशें मिली। लाशें इतनी बुरी तरह जल चुकी थी कि उन्हें पहचानना मुश्किल था कि यह पुरुष की लाश है या महिला की। इनकी पहचान सिर्फ डीएनए टेस्ट से ही हो पाएगी।
काफी लोग अपने परिजनों को तलाशते रहे किंतु वह नहीं मिले। आग कितनी भयानक थी इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस आग को बुझाने में फायर ब्रिगेड की 25 गाड़ियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
भारत सरकार ने प्रधानमंत्री राहत कोष से इस आग में अपने परिजनों को खो चुके लोगों को ₹200000 की सहायता देने की घोषणा की है। घायल हुए लोगों को 50000 की सहायता देने का ऐलान हुआ है।
दिल्ली में ऐसे हादसे क्यों होते हैं और यह रुकेंगे कब?
मुंडका कमर्शियल एक्टिविटी वाली बिल्डिंग में भयानक आग ने यह साबित कर दिया है कि दिल्ली में फायर सिस्टम को लेकर लोगों में अवेयरनेस आज भी नहीं है। दिल्ली में ऐसी भयंकर आग कई बार लग चुकी है। पिछले साल पीरागढ़ी की एक सिलाई फैक्ट्री में भी ऐसी ही भीषण आग लगी थी पर गनीमत यह रही कि उस दिन फैक्ट्री में छुट्टी थी किंतु पूरी फैक्ट्री ग्राउंड फ्लोर से लेकर 3rd फ्लोर तक पूरी आग में खाक हो चुकी थी।
उपहार कांड को ही ले लीजिए कितने लोग उसमें हताहत हुए थे। दिल्ली मैं तीस हजारी की दाल मंडी के हादसों को कोई भूल नहीं सकता। 1996 में दिल्ली की पीवीसी मार्केट में भयंकर आग लगी थी जिसका धुआं वहां की बिल्डिंगों में से एक साल तक निकलता रहा। ऐसे हादसों को रोकने के लिए जब बिल्डिंग का निर्माण होता है तो ऐसे फायर सिस्टम लगाए जा सकते हैं जो आग लगने की सूचना पर तुरंत पूरी बिल्डिंग में अलार्म चालू कर दें और लोग सचेत हो जाएं।
सवाल यह उठता है कि पूरी दिल्ली में जितनी भी कमर्शियल एक्टिविटी वाली बिल्डिंग है क्या उनकी किसी विभाग ने चेकिंग की है कि वहां पर लोगों की सुरक्षा के क्या इंतजाम है। जिसका बिजनेस इस बिल्डिंग में चल रहा है वह तो अपना प्रॉफिट कमा लेता है लोगों की जान दांव पर लगाकर। किंतु जिन लोगों की जान गई है क्या उन्हें वह वापस लौटा सकता है। मतलब यह है कि अपना लालच कम कर के लोगों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखें, जब बिल्डिंग बनाए तो इमरजेंसी में उसमें बाहर निकलने के लिए रास्ते जरूर बनाएं।
दिल्ली में ऐसी काफी सारी रिहायशी बिल्डिंग भी है जहां पर पूरी बिल्डिंग के मीटर ग्राउंड फ्लोर की सीढ़ियों के नीचे लगे होते हैं। क्या प्रशासन को इसके बारे में जानकारी नहीं होती। क्या सरकार की तरफ से ऐसा कोई नियम ही नहीं है कि बिल्डिंग में लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए और अगर है तो वह क्या कारण है कि ऐसे हादसे हो जाते हैं। कहीं ना कहीं प्रशासन की ही कमी नजर आती है। प्रशासन सख्त होगा तो लोगों में ऑटोमेटिक ही अवेयरनेस आ जाएगी कि हमें अपनी बिल्डिंग में अपनी सुरक्षा के साथ-साथ दूसरों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए और बिजली के मीटर ऐसी जगह लगवाए जहां से लोगों को कोई दिक्कत ना हो।
हमारे देश में जब भी कोई ऐसी घटनाएं होती है तो उसकी एक कमेटी बना दी जाती है, जांच करने के लिए, कमेटी जांच रिपोर्ट भी दे देती है किंतु कुछ दिनों बाद हालात पहले जैसे ही हो जाते हैं। कमेटियां बने तो हमेशा के लिए बने ना कि कुछ दिनों के लिए। दिल्ली कि हर फैक्ट्री में,कमर्शियल बिल्डिंग आवासीय बिल्डिंग में चेकिंग हो।
एक नोटिफिकेशन मीडिया में भी आता रहे कि बिल्डिंग में सुरक्षा के उपकरण लगे होने चाहिए। प्रशासन हर जिला स्तर पर इमारतों की चेकिंग करें किंतु चेकिंग के नाम पर लोगों को परेशान ना करें। भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाएं ना हो उन्हें रोकने का उपाय प्रशासन को आज से ही शुरु कर देना चाहिए।
doctor strange full movie in hindi download
More artical
निर्माण मजदूरों के लिए फ्री बस पास
mobile gadgets under 1000
ReplyForward |
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.