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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर में पीएम-किसान योजना की 19वीं किस्त जारी करते हुए, लेकिन 20वीं किस्त की देरी ने उठाए सवाल।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना: कार्यप्रणाली, घोटाले, और आलोचनाएँ
परिचय
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसे 1 दिसंबर 2018 को शुरू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, ताकि वे अपनी खेती की जरूरतों को पूरा कर सकें। इसके तहत पात्र किसानों को हर चार महीने में 2,000 रुपये की तीन किस्तों में कुल 6,000 रुपये सालाना डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से उनके बैंक खातों में दिए जाते हैं। इस योजना की शुरुआत तेलंगाना की रायथु बंधु योजना से प्रेरित होकर की गई थी, जिसे विश्व बैंक जैसे संगठनों ने सराहा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को 24 फरवरी 2019 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से लॉन्च किया था, और तब से यह देश के करोड़ों किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता बन गई है। 19वीं किस्त तक, सरकार ने 3.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया है, जिसमें 9.8 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ मिला है।
हालांकि, हाल के महीनों में किसानों के बीच असंतोष बढ़ रहा है, क्योंकि 20वीं किस्त, जो जून 2025 में आने की उम्मीद थी, अभी तक कई किसानों के खातों में नहीं पहुंची है। इस देरी ने योजना की कार्यप्रणाली, इसमें होने वाली गड़बड़ियों, और संभावित घोटालों पर सवाल उठाए हैं। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस योजना को लेकर की गई प्रतिबद्धताओं और उनकी कार्यशैली पर भी आलोचनाएँ सामने आ रही हैं। इस लेख में हम इस योजना की कार्यप्रणाली, विभिन्न राज्यों में इसकी प्रक्रिया, घोटालों और गड़बड़ियों की आशंकाओं, समाचार पत्रों की खबरों, और मोदी सरकार की आलोचनाओं का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।
पीएम-किसान योजना की कार्यप्रणाली
पीएम-किसान योजना का लक्ष्य छोटे और सीमांत किसानों (जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की जमीन है) को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। योजना के तहत पात्रता के लिए निम्नलिखित शर्तें हैं:
आधार कार्ड और बैंक खाता: किसानों के पास आधार कार्ड और आधार से लिंक बैंक खाता होना अनिवार्य है।
जमीन के दस्तावेज: भूलेख सत्यापन और स्वामित्व प्रमाण पत्र जरूरी हैं।
ई-केवाईसी: सभी लाभार्थियों को समय-समय पर ई-केवाईसी करवाना अनिवार्य है।
किसान रजिस्ट्री: हाल ही में, सरकार ने लाभार्थियों को फार्मर रजिस्ट्री में पंजीकरण करवाने की शर्त जोड़ी है।
आवेदन और सत्यापन प्रक्रिया
आवेदन: किसान आधिकारिक वेबसाइट (pmkisan.gov.in) या नजदीकी जन सेवा केंद्र (CSC) के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
सत्यापन: राज्य सरकारें और केंद्र सरकार संयुक्त रूप से लाभार्थियों की सूची तैयार करती हैं। इसमें आधार, बैंक खाता, और जमीन के दस्तावेजों का सत्यापन होता है।
किस्तों का वितरण: हर चार महीने में (अप्रैल-जुलाई, अगस्त-नवंबर, दिसंबर-मार्च) 2,000 रुपये की किस्तें DBT के माध्यम से ट्रांसफर की जाती हैं।
हालांकि, कई बार तकनीकी गड़बड़ियाँ, दस्तावेजों में त्रुटियाँ, या ई-केवाईसी की कमी के कारण किसानों की किस्तें रुक जाती हैं।
20वीं किस्त में देरी: कारण और आशंकाएँ
19वीं किस्त 24 फरवरी 2025 को बिहार के भागलपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी की गई थी, जिसमें 9.8 करोड़ किसानों को 22,000 करोड़ रुपये वितरित किए गए। सामान्य तौर पर, अगली किस्त जून 2025 के अंत या जुलाई 2025 की शुरुआत में आने की उम्मीद थी। लेकिन, जुलाई 2025 तक कई किसानों को 20वीं किस्त नहीं मिली है, जिसके कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
प्रधानमंत्री की व्यस्तता: सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी 2 से 9 जुलाई तक पांच देशों की यात्रा पर हैं, जिसके कारण किस्त जारी करने में देरी हो सकती है।
तकनीकी और प्रशासनिक समस्याएँ: कई किसानों ने ई-केवाईसी या भूलेख सत्यापन पूरा नहीं किया है, जिसके कारण उनकी किस्तें रुकी हुई हैं।
सत्यापन प्रक्रिया में कठिनाइयाँ: कुछ राज्यों में लाभार्थी सूची में त्रुटियाँ पाई गई हैं, जिसके कारण सत्यापन में समय लग रहा है।
इस देरी ने किसानों में असंतोष पैदा किया है, और कई लोग इसे योजना की नाकामी के रूप में देख रहे हैं। साथ ही, इसने घोटालों और गड़बड़ियों की आशंकाओं को भी जन्म दिया है।
पीएम-किसान योजना में घोटाले और गड़बड़ियाँ
हालांकि पीएम-किसान योजना को पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, फिर भी कई राज्यों में घोटालों और अनियमितताओं की खबरें सामने आई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं:
उत्तर प्रदेश
संदिग्ध लाभार्थी: जून 2025 में, उत्तर प्रदेश के एक जिले में 14,000 से अधिक किसानों पर संदेह जताया गया, और उनके खातों की जाँच शुरू की गई।
गलत लाभार्थी: कई मामलों में, गैर-किसानों (जैसे सरकारी कर्मचारी, आयकरदाता) को योजना का लाभ मिला, जो पात्रता मानदंडों का उल्लंघन है।
तकनीकी त्रुटियाँ: कई किसानों ने शिकायत की कि उनके दस्तावेज सही होने के बावजूद उनकी किस्तें रुकी हुई हैं।
बिहार
बिहार में भी लाभार्थी सूची में गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई हैं। कुछ मामलों में, मृतक व्यक्तियों के नाम पर भी किस्तें ट्रांसफर की गईं, जिससे घोटाले की आशंका बढ़ी है।
ई-केवाईसी की प्रक्रिया में देरी के कारण कई पात्र किसानों को 19वीं और 20वीं किस्त नहीं मिली।
तमिलनाडु
तमिलनाडु में 2023 में एक बड़ा घोटाला सामने आया था, जिसमें अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गैर-पात्र व्यक्तियों को लाभ पहुँचाया। इस मामले में कई अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी।
भूलेख सत्यापन में गड़बड़ियों के कारण कई वास्तविक किसानों को योजना से बाहर कर दिया गया।
पंजाब और हरियाणा
इन राज्यों में कुछ अमीर किसानों और जमींदारों ने छोटे किसानों के नाम पर योजना का लाभ उठाया, जिससे असली लाभार्थियों को नुकसान हुआ।
डेटा में हेरफेर और फर्जी आधार कार्ड के उपयोग की शिकायतें भी सामने आई हैं।
समाचार पत्रों की खबरें
आज तक (23 जून 2025): खबरों में बताया गया कि 20वीं किस्त जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में आने की संभावना है, लेकिन देरी के कारण किसानों में नाराजगी है।
नवभारत टाइम्स (24 जून 2025): इसने बताया कि पीएम मोदी बिहार दौरे के दौरान 20वीं किस्त जारी कर सकते हैं, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
जागरण (2 जुलाई 2025): इसने दावा किया कि 20वीं किस्त 10 जुलाई के बाद ही आ सकती है, क्योंकि पीएम मोदी विदेश यात्रा पर हैं।
अमर उजाला (3 जुलाई 2025): इसने ई-केवाईसी की अनिवार्यता पर जोर दिया और बताया कि बिना इसके किस्तें रुक सकती हैं।
इन खबरों से स्पष्ट है कि योजना में पारदर्शिता और समयबद्धता की कमी ने किसानों का भरोसा कम किया है। साथ ही, घोटालों की खबरों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
विभिन्न राज्यों में प्रक्रिया
पीएम-किसान योजना का कार्यान्वयन केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से होता है, लेकिन हर राज्य में इसकी प्रक्रिया में कुछ अंतर देखने को मिलते हैं:
उत्तर प्रदेश
प्रक्रिया: उत्तर प्रदेश में किसानों को pmkisan.gov.in पर ऑनलाइन पंजीकरण करना होता है। इसके बाद, जिला और ब्लॉक स्तर पर दस्तावेजों का सत्यापन होता है।
चुनौतियाँ: बड़े पैमाने पर किसानों की संख्या के कारण सत्यापन में देरी होती है। साथ ही, भ्रष्टाचार और फर्जी लाभार्थियों की समस्या भी सामने आई है।
हाल की घटनाएँ: 2025 में, 1.75 करोड़ किसानों को 19वीं किस्त नहीं मिली, जिसके लिए तकनीकी त्रुटियों को जिम्मेदार ठहराया गया।
बिहार
प्रक्रिया: बिहार में CSC केंद्रों के माध्यम से आवेदन और ई-केवाईसी की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया गया है।
चुनौतियाँ: ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की कमी और जागरूकता की कमी के कारण कई किसान ई-केवाईसी नहीं कर पाए हैं।
हाल की घटनाएँ: 24 फरवरी 2025 को भागलपुर में 19वीं किस्त जारी की गई, लेकिन कई किसानों ने शिकायत की कि उनके खातों में पैसे नहीं पहुंचे।
तमिलनाडु
प्रक्रिया: तमिलनाडु में भूलेख सत्यापन को कड़ाई से लागू किया गया है। किसानों को स्थानीय तहसील कार्यालयों में दस्तावेज जमा करने होते हैं।
चुनौतियाँ: जटिल सत्यापन प्रक्रिया और अधिकारियों की लापरवाही के कारण कई किसानों को लाभ नहीं मिल पाया।
पंजाब
प्रक्रिया: पंजाब में डिजिटल पंजीकरण को प्राथमिकता दी गई है, और किसानों को Farmer Registry App के माध्यम से पंजीकरण कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
चुनौतियाँ: बड़े जमींदारों द्वारा छोटे किसानों के नाम पर लाभ उठाने की शिकायतें सामने आई हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योजना की आलोचनाएँ
पीएम-किसान योजना को शुरू करने और इसे देशभर में लागू करने का श्रेय नरेंद्र मोदी सरकार को जाता है। हालांकि, कई कारणों से इस योजना और मोदी की कार्यशैली की आलोचना हो रही है:
1. किस्तों में देरी
20वीं किस्त की देरी ने किसानों में असंतोष पैदा किया है। कई किसान इसे सरकार की अक्षमता और प्राथमिकताओं की कमी के रूप में देखते हैं। खासकर, जब पीएम मोदी विदेश यात्राओं पर व्यस्त हैं, तब किसानों को लगता है कि उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।
2. घोटालों और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की कमी
योजना में पारदर्शिता की कमी और फर्जी लाभार्थियों को लाभ पहुँचने की खबरों ने सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। विपक्षी दलों ने दावा किया है कि सरकार ने घोटालों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए।
3. जटिल प्रक्रियाएँ
ई-केवाईसी, भूलेख सत्यापन, और फार्मर रजिस्ट्री जैसी प्रक्रियाएँ ग्रामीण किसानों के लिए जटिल हैं। खासकर, डिजिटल साक्षरता और इंटरनेट की कमी वाले क्षेत्रों में ये प्रक्रियाएँ लाभार्थियों के लिए बाधा बन रही हैं।
4. प्रचार पर अधिक ध्यान
विपक्षी दलों और कुछ विश्लेषकों का आरोप है कि मोदी सरकार इस योजना का उपयोग राजनीतिक प्रचार के लिए कर रही है। हर किस्त के वितरण को बड़े आयोजनों के साथ जोड़ा जाता है, जिसमें पीएम मोदी स्वयं शामिल होते हैं, लेकिन वास्तविक कार्यान्वयन में कमियाँ रह जाती हैं।
5. अपर्याप्त राशि
कई किसानों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 6,000 रुपये की वार्षिक राशि आज के महँगाई के दौर में अपर्याप्त है। खेती की बढ़ती लागत और प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को देखते हुए, यह राशि किसानों की वास्तविक जरूरतों को पूरा नहीं कर पाती।
6. क्षेत्रीय असमानताएँ
कुछ राज्यों में योजना का कार्यान्वयन बेहतर है, जबकि कुछ राज्यों में प्रशासनिक लापरवाही के कारण लाभार्थियों को परेशानी हो रही है। यह असमानता भी सरकार की आलोचना का कारण बनी है।
समाचार पत्रों और मीडिया की भूमिका
समाचार पत्रों और डिजिटल मीडिया ने पीएम-किसान योजना की कमियों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कुछ प्रमुख खबरें निम्नलिखित हैं:
लाइवमिंट (16 मई 2025): इसने बताया कि 31 मई 2025 तक ई-केवाईसी पूरी न करने वाले किसानों की 20वीं किस्त रुक सकती है।
इंडिया टीवी (24 फरवरी 2025): इसने योजना की 19वीं किस्त के सफल वितरण की प्रशंसा की, लेकिन साथ ही देरी और तकनीकी समस्याओं पर भी चर्चा की।
ज़ी न्यूज़: इसने 5 से 15 जून 2025 तक ई-केवाईसी ड्राइव की घोषणा की, लेकिन कई किसानों की शिकायतों को भी हाइलाइट किया।
इन खबरों से स्पष्ट है कि मीडिया ने योजना की कमियों और सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं। साथ ही, यह भी सुझाव दिया गया है कि सरकार को प्रक्रियाओं को सरल करने और पारदर्शिता बढ़ाने की जरूरत है।
निष्कर्ष और सुझाव
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ने निश्चित रूप से लाखों किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली में कई खामियाँ हैं। 20वीं किस्त की देरी, घोटालों की खबरें, और जटिल प्रक्रियाओं ने किसानों का भरोसा कम किया है। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस योजना को प्रचार के लिए उपयोग करने की रणनीति पर भी सवाल उठ रहे हैं।
सुझाव
प्रक्रियाओं का सरलीकरण: ई-केवाईसी और भूलेख सत्यापन जैसी प्रक्रियाओं को और सरल करना चाहिए, ताकि ग्रामीण किसान आसानी से इसका लाभ उठा सकें।
पारदर्शिता बढ़ाना: फर्जी लाभार्थियों को रोकने के लिए सख्त निगरानी और ऑडिट की व्यवस्था होनी चाहिए।
राशि में वृद्धि: 6,000 रुपये की राशि को बढ़ाकर कम से कम 12,000 रुपये सालाना करना चाहिए, ताकि यह किसानों की वास्तविक जरूरतों को पूरा कर सके।
समयबद्ध वितरण: किस्तों के वितरण में देरी को रोकने के लिए एक निश्चित समय-सारि आपके आर्टिकल पर विश्वास होणी बनानी चाहिए।
जागरूकता अभियान: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता और योजना की जानकारी के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
अंत में, पीएम-किसान योजना में सुधार और पारदर्शिता लाकर ही इसे वास्तव में किसानों के लिए लाभकारी बनाया जा सकता है। सरकार को चाहिए कि वह किसानों की शिकायतों को गंभीरता से ले और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए।
Disclaimer
डिस्क्लेमर: यह लेख सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है और इसमें व्यक्त विचार लेखक के हैं। लेख में उल्लिखित जानकारी समाचार पत्रों, X पोस्ट्स, और अन्य सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। हम किसी भी जानकारी की सटीकता या पूर्णता की गारंटी नहीं देते। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक स्रोतों जैसे pmkisan.gov.in से नवीनतम जानकारी सत्यापित करें। इस लेख का उद्देश्य किसी व्यक्ति, समूह या सरकार के खिलाफ भेदभाव करना नहीं है।
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