#MakarSankranti
Makar Sakranti is a famous festival of India

Sesame-seeds

भारत मैं अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। उनमें से भारत के एक राज्य राजस्थान का मशहूर और रंगीला त्यौहार है मकर सक्रांति। पूरे भारत में मकर संक्रांति का त्यौहार बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। राजस्थान में मकर सक्रांति का त्योहार बहुत महत्व रखता है।
Makar Sakranti is the colorful festival of Rajasthan
रंग बिरंगे राजस्थान में मकर सक्रांति के दिन बढ़ी चहल-पहल रहती है। पूरे राजस्थान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाई जाती है और गुड तिल के लड्डू बनाके एक दूसरे को खिलाते हैं। यूं तो पूरे भारत में मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता हैं, किंतु राजस्थान में इसका रंग अलग ही नजर आता है। बच्चे बूढ़े और जवान मकर सक्रांति के दिन पतंग उड़ाते हुए नजर आ जाते हैं। दिल्ली में जहां 15 अगस्त के दिन पतंग उड़ाई जाती है, वही राजस्थान में मकर सक्रांति के दिन पूरे उत्साह से पतंग उड़ाई जाती है।
Daal baati and churma tastes great on Makar Sakranti
राजस्थान में यूं तो दाल बाटी चूरमा अक्सर बनाया जाता है, किंतु मकर सक्रांति के दिन बड़े उत्साह से बनाया जाता है। मकर सक्रांति के दिन तिल के लड्डू, बड़े, और दाल बाटी चूरमा जरूर खाया जाता है। दूसरे राज्यों में काम कर रहे और रह रहे राजस्थान के लोग इस दिन दाल बाटी चूरमा जरूर बनाते हैं। दिल्ली में भी राजस्थान के लोग काफी संख्या में रहते हैं और इनके यहां भी मकर सक्रांति के दिन दाल बाटी चूरमा जरूर बनता है।
Kites are flown all over Rajasthan but Jaipur has a kite flying festival
रंगीले राजस्थान के रंगीले लोग मकर सक्रांति के दिन पतंग जरूर उड़ाते हैं। जयपुर में तो काईट फेस्टिवल होता है जिसे देखने के लिए देश-विदेश से भी लोग पहुंचते हैं। किंतु इस बार कोविड-19 के कारण पतंग उड़ाने का मजा कुछ कम है। मकर सक्रांति के दिन पूरे राजस्थान में चारों तरफ पतंगे ही पतंग उड़ती हुई नजर आ सकती है। माना जाता है कि पतंग उत्सव जयपुर के राज परिवार ने अपने शाही शौक के लिए किया किंतु अब पूरे राजस्थान ने इसे अपना लिया है।
On the day of Makar Sakranti, the taste of dal baati churma is very unique
मकर सक्रांति के दिन घरों में मोठ दाल के बड़े, गुड़ के पुए और मालपुए जरूर बनाए जाते हैं। गुड़ के पुए और बड़े निकालने के बाद सबसे पहले महिलाएं अपने पतियों और बच्चों के ऊपर इन्हें 7 बार घुमाकर उनकी सेहत और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है। इसके बाद इन बड़ों को घर की छत पर ले जाकर जोर जोर से बोला जाता है 'चील बड़ा', और चील पक्षियों को खिलाया जाता है।
सक्रांति वाले दिन संक्रांत भोज में गेहूं-गुड़ की लापसी, तिल-गुड़ के लड्डू, गोंद और मेथी के लड्डू, बड़ी की सब्जी, गजक, घेवर, खीर, फिन्नी, पकौड़ी, दाल-बाटी चूरमा, दाल-बाफले के साथ खिचड़ी भी बनाई जाती है।
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