New Year is organized in many ways

New year is celebrated in the world according to different dates

#NewYear2021

Let us all wish that the new year is coronavirus free
2021


Different forms of New Year in India : भारत में नव वर्ष के विभिन्न रूप। नए साल का इंतजार पूरी दुनिया में सबको बड़ी बेसब्री से रहता है। नया साल यानी कि 1 जनवरी या इसे यूं कहते हैं कि वर्ष का पहला दिन। 1 जनवरी को लगभग पूरी दुनिया के ज्यादातर लोग नए साल की शुरुआत करते हैं। नया साल हमारे अंदर एक नया आत्मबोध और नया उत्साह पैदा करता है और नए तरीके से जीवन को जीने का संदेश देता है। नए साल के दिन पूरी दुनिया में हर्षोल्लास तो होता ही है और दुनिया के अलग-अलग कोनों में अलग-अलग दिनों में भी यह मनाया जाता है। पूरी दुनिया में अनेकों प्रकार के कैलेंडर हैं और उनके अनुसार नया साल भी अलग अलग ही आता है। अगर भारत की बात की जाए तो यहां पर लगभग 50 कैलेंडर (पंचांग) है। और कई पंचांगों के अनुसार नया साल अलग-अलग दिनों पर होता है।


New year according to the Gregorian calendar: ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नया साल 1 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर से हुई है। पारंपरिक रोमन कैलेंडर के अनुसार नया साल 1 मार्च को मनाया जाता था। प्रसिद्ध रोमन सम्राट जूलियस सीज़र ने 47 ईशा पूर्व में इस कैलेंडर में परिवर्तन करके इसमें जुलाई महीने को जोड़ दिया। इसके पश्चात उसने अपने भतीजे के नाम के आधार पर इसमें अगस्त महीने को जोड़ा। पूरी दुनिया में आज जो कैलेंडर चलते हैं, उन्हें पोप ग्रेगोरी अष्टम ने 1542 में तैयार किया था । ग्रेगोरी ने इसमें लीप वर्ष का प्रावधान करा था।


New year according to different paths of Christians: ईसाइयों के एक अन्य पंथ ईस्टर्न ऑर्थोडॉक्स चर्च तथा इसके अनुयायी ग्रेगोरियन कैलेंडर को मान्यता न देकर पारंपरिक रोमन कैलेंडर को ही मान्यता देते हैं। इस कैलेंडर के अनुसार 14 जनवरी को नया साल मनाया जाना चाहिए। इस कैलेंडर की मान्यताओं के अनुसार जॉर्जिया, रूस, यरुशलम, सर्बिया आदि में 14 जनवरी को ही नया साल मनाया जाता है।


New year according to the calendar of islam: इस्लाम धर्म के कैलेंडर को हिजरी साल के नाम से भी पुकारा जाता है। इसके अनुसार नए वर्ष का प्रारंभ मोहर्रम महीने के पहले दिन से होता है। कर्बला की लड़ाई के पहले ही हिजरी कैलेंडर का निर्धारण कर लिया गया था। मोहर्रम के दसवें दिन को आशूरा के रूप में जाना जाता है। कहा जता है कि इसी दिन पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन बगदाद के निकट कर्बला में शहीद हो गए थे। हिजरी कैलेंडर के बारे में दिलचस्प यह है कि इसमें चंद्रमा की घटती-बढ़ती चाल के अनुसार दिनों का संयोजन नहीं किया गया है। इस कारण इसके महीने हर साल करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं।


Different types of new year in china: भारत के पड़ोसी देश चीन की बात करें तो वह एक अलग प्रकार का ही कैलेंडर है।लगभग सभी पुरानी सभ्यताओं के मद्देनजर चीन का कैलेंडर भी चंद्रमा पर आधारित है।इसलिए यहां का नया साल 21 जनवरी से 21 फरवरी के बीच पड़ता है। चीन में वर्ष के नाम 12 जानवरों के नाम पर रखे गए हैं और चीनी ज्योतिष में लोगों की राशि भी 12 जानवरों के नाम पर ही होती है। जो वर्ष जिस जानवर के नाम पर होता है यदि वह नाम उस व्यक्ति की राशि है तो वह उस व्यक्ति के लिए विशेष तौर से भाग्यशाली वर्ष माना जाता है।


Different types of calendars in India: भारत मैं विभिन्न प्रकार के कैलेंडर प्रचलित है। वर्तमान काल में हमारे देश में विक्रम संवत, शक संवत, हिजरी संवत, फसली संवत, बांग्ला संवत, बौद्ध संवत, जेन संवत, खालसा संवत, तमिल संवत, मलयालम संवत, तेलुगु संवत इत्यादि प्रचलित है। इन विभिन्न प्रकार के संवत में अलग-अलग नववर्ष होते हैं। भारत में सबसे ज्यादा प्रचलित संवत विक्रम संवत और शक संवत है। इतिहास के अनुसार विक्रम संवत गुप्त सम्राट विक्रमादित्य ने उज्जैनी में शकों को पराजित करने की याद में शुरू किया था। यह संवत 45 ईसा पूर्व शुरू हुआ था। विक्रम संवत चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू हुआ। इसी समय चैत्र नवरात्र शुरू हो जाते हैं। भारत में गुड़ी पड़वा और उगादि के रूप में भी नव वर्ष को मनाया जाता है। चेटी चंद्र के रूप में सिंधी लोग नव वर्ष को मनाते हैं। शक संवत को शालिवाहन शक संवत के रूप में भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार शक सम्राट कनिष्क ने 74 ईसवी में शुरू किया था। आजादी के बाद भारत की सरकार ने इसी शक संवत में मामूली फेरबदल करके इसी राष्ट्रीय संवत के रूप में मान्यता दे दी। राष्ट्रीय संवत का नव वर्ष 22 मार्च को होता है जबकि लीप ईयर में यह 21 मार्च होता है।


आज दुनिया में नए साल का जश्न बड़े जोर शोर से मनाया जाता है और शायद कम लोगों को पता हो कि दुनिया भर में पूरे 70 नए वर्ष मनाए जाते हैं। सबसे मजेदार बात तो यह है कि आज भी पूरी दुनिया कैलेंडर प्रणाली पर एकराय नहीं रखती हैं। कहने को तो दुनिया अब अंतरिक्ष में पहुंच चुकी है और विज्ञान काफी तरक्की कर चुका है किंतु अब भी कहीं सूर्य पर आधारित कहीं चंद्रमा पर आधारित और कहीं चंद्रमा और तारों की चाल के आधार और मान्यताओं के अनुसार दुनिया में विभिन्न कैलेंडर प्रणालियां लागू रहती है। इसी कारण हमारे प्यारे देश भारत में पूरे साल 30 अलग-अलग नव वर्ष मनाए जाते हैं। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचलित कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर है जिसे पोप ग्रेगरी तेरह ने 24 फरवरी, 1542 को लागू किया था। यह कैलेंडर 15 अक्टूबर, 1542 में शुरू हुआ था। इसमें अनेक प्रकार की कमियां होने के बावजूद भी कई प्राचीन कैलेंडरो को दुनिया के कई हिस्सों में आज भी मान्यता मिली हुई है।


New year starts at different dates and years in the world : जापान में नव वर्ष को गनतन-साईं या ओषोगत्सू के नाम से भी पुकारा जाता है। महायान बौद्ध 7 जनवरी, प्राचीन स्कॉट में 11 जनवरी, वेल्स के इवान वैली में नव वर्ष 12 जनवरी, सोवियत रूस के रूढ़िवादी चर्च, आर्मेनिया और रोम में नव वर्ष 14 जनवरी को होता है। सेल्टिक, कोरिया, वियतनाम, तिब्बत, लेबनान, और चीन में नव वर्ष 21 जनवरी को प्रारंभ होता है। प्राचीन आयरलैंड में नव वर्ष 1 फरवरी, को मनाया जाता है और प्राचीन रोम में 1 मार्च, को नववर्ष मनाया जाता है। ईरान, प्राचीन रूस तथा भारत में बहाई, तेलुगू और जमशेदी का नया वर्ष 21 मार्च से प्रारंभ होता है। प्राचीन ब्रिटेन में नया साल 25 मार्च को शुरू होता है।


प्राचीन फ्रांस में 1 अप्रैल से अपना नया साल प्रारंभ करने की परंपरा थी यह दिन अप्रैल फूल के रूप में भी जाना जाता है। थाईलैंड, बर्मा, श्रीलंका, कंबोडिया, और लावो के लोग 7 अप्रैल को बौद्ध नववर्ष मनाते हैं। भारत के कश्मीर में अप्रैल मैं और वैशाखी के दिन नव वर्ष बनाया जाता है। दक्षिण पूर्व एशिया के देशों, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, कंबोडिया, नेपाल, बंगाल, श्रीलंका, वह तमिल क्षेत्रों में, नया साल 14 अप्रैल को मनाए जाने की परंपरा है। श्रीलंका में इसी दिन राष्ट्रीय नव वर्ष भी मनाया जाता है। सिखों का नया साल भी 14 अप्रैल को मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन 17 अप्रैल को बौद्ध धर्म के कुछ अनुयाई नया साल मनाते हैं। 15 अप्रैल को असम में नव वर्ष मनाया जाता है। पारसी 22 अप्रैल को अपना नववर्ष मनाते हैं और 24 अप्रैल से बेबीलोनियन अपने नए वर्ष की शुरुआत मानते हैं। प्राचीन ग्रीक में 21 जून को नववर्ष मनाया जाता था। 29 जून को प्राचीन जर्मनी में नया साल मनाने की परंपरा थी एवं अमेरिका में 1 जुलाई को नया साल मनाया जाता था। इसी तरह आर्मेनियन कैलेंडर 9 जुलाई को और म्यांमार का नया साल 21 जुलाई से शुरू होता है।


नए साल का जश्न तो हमें मनाना ही है किंतु इस समय पूरी दुनिया की जो परिस्थितियां हैं उससे यही संदेश मिलता है कि खुद सुरक्षा अपनाओ और दूसरों को भी सुरक्षित रहने की सलाह दो। हालातों के अनुसार दूरियां बनाकर और मास्क लगाकर नए साल का जश्न मनाए और संकल्प लें कि इस मुसीबत की घड़ी में मानवता कहीं पीछे नहीं छूट जाए। अगर 1 जनवरी को किए गए इस संकल्प को पूरा नहीं कर पाते हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है नई संकल्प करने और उन्हें निभाने के लिए मौके ही मौके हैं। बस यह ध्यान रखिए कि आपको सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि परिवार, समाज और देश के लिए जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनना है। यही प्रार्थना करते हुए की 2021 कोरोनावायरस मुक्त साल हो, नया साल मुबारक हो

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